सोमवार, 28 जुलाई 2025

रावी पार जाने वाली बेटियाँ

 हीरें भी कैसे-कैसे भरम पाल लिया करती हैं कि उनका महबूब राँझा ही होगा ।आदमी मुहब्बतें भी वक्ती जरूरतों की तरह तय करता है और जरूरतें तो वक्त के साथ बदल जाया करती हैं ।हीर कहती मेरी वफ़ा तो मर कर तय होती , उसकी बेवफ़ाई ने रोज मर-मर के जीने के लिए छोड़ दिया ।ऐ ज़िन्दगी, तुम भी सहरा से शुरू कर के सहरा पर ही ले आती हो ।

ये कौन कदमों के नीचे अंगारे रख जाया करता है वरना चलना तो सब फूलों पर ही चाहते हैं । सात जन्मों तक साथ चलने की बातें करते थे , कहाँ तो एक जनम भी दिल से साथ तय न था ।वो कोई और ही जमीं होती होगी , कोई और ही वतन होता होगा । ज़न्नत ज़रूर इसी धरती पर उतर आती बस उसकी आँखों में नमी नहीं थी ।

वे ज़िंद-जाँ वार दित्ती, तूँ समझेआ ना 

किस थाँ जाँवा, मेरे लई ते हुण वा कोई ना 


रावी पार जाण वालियाँ धीयाँ 

निक्खड़ियाँ मापेयाँ तों 

अम्बरा ने बाँ ना फड़ी

तलियाँ थल्ले थाँ कोई ना 


राँझे मुक्क गये दुनिया तों 

हीराँ दी क़िस्मत माड़ी 

बदनाम होया ऐ वी रिश्ता 

प्रीत निगोड़ी दा नाँ कोई ना 


वे ज़िन्द-जाँ वार दित्ती, तूँ मुड़या ना 

मेरे वेड़े धुप्प ही धुप्प ,तेरे नेड़े छाँ कोई ना 


इसी गीत का हिंदी अनुवाद ….


दिलों-जाँ वार दी , तू समझा ही नहीं 

किधर जाऊँ , मेरा तो कोई हाल ही नहीं 


रावी पार जाने वाली बेटियाँ 

बिछुड़ीं माँ-बाप से 

आसमाँ ने बाँह न थामी 

तलुवों नीचे जमीं ही नहीं 


राँझें ख़त्म हुए दुनिया से 

हीरों की क़िस्मत है बुरी 

बदनाम हुआ ये रिश्ता भी 

प्रीत निगोड़ी का नाम ही नहीं 


दिलों-जाँ वार दी , तू समझा ही नहीं 

मेरे अँगना धूप ही धूप , तेरे अँगना छाँव ही नहीं 



रविवार, 1 जून 2025

प्यार नाम की चिड़िया

 क्या है प्यार ? आज का युवा ढूँढ रहा है सच्चा प्यार , जो मिल के नहीं मिलता ।बाहरी अट्रैक्शन , क्वालिफिकेशन या रहन-सहन जब आकर्षित करते हैं तो इसे प्यार समझ लिया जाता है ।अपरिपक्व उम्र में परिपक्व प्यार कैसे होगा ! थोड़ी सी मुलाकातों के बाद ही पोल खुलने लगती है । हर किसी की ईगो , सुपीरियारिटी काम्प्लेक्स , उम्मीदें और रिजिडिटी व्यवहार में नजर आने लगती है और फिर प्यार नाम की चिड़िया फुर्र हो जाती है ।अब एक-दूसरे को बर्दाश्त करना तक मुश्किल हो जाता है ।

जबकि ये सच्चाई है कि दो अलग-अलग परिवेश से आए हुए लोग ,अलग-अलग व्यक्तित्व समान हो ही नहीं सकते ।प्यार तो नाम ही ख़ुशी-ख़ुशी बर्दाश्त करने को कहते हैं ।सुधारना भी है तो प्यार से अपनी बात समझायें ।जैसे पेरेंट्स अपने बच्चों को समझाते हैं मगर प्यार कहीं कम नहीं होता ।प्यार का मतलब ही उसका भला चाहना है ।इसीलिए प्यार को वन वे ट्रैफिक कहा जाता है । ये भी कहा जाता है कि आप शादी उस से करो जो तुम्हें चाहता है ; उस से नहीं जिसे सिर्फ तुम चाहते हो और वो नहीं ।इसलिए कि उसके दिल में एक नाजुक कोना तुम्हारे नाम का हमेशा रहेगा ।उसके पास एक कारण हमेशा रहेगा रिश्ता बनाये रखने का ।ये भी कहते हैं कि किसी अनजान आदमी से शादी करने से अच्छा है किसी दोस्त से शादी कर लो , वो तुम्हे अच्छे से जानता होगा ।

प्यार है तो भावनाओं का वेग ही , इसे दिशा दी जा सकती है ।आपका भाव आपकी आँखों से टपकता है ।किसी में भी सुर्खाब के पर नहीं लगे होते । इसलिए ख़ुद को भी इतना भाव न दें कि दूसरे की ज़िन्दगी के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएँ ।जो व्यवहार आप साथी से अपने लिए चाहते हैं , वही आप उसके साथ करें ।