शनिवार, 13 दिसंबर 2014

जितनी ज्यादा नकारात्मकता ,उतनी ज्यादा सकरात्मकता

क़ैद में है बुलबुल , सैय्याद मुस्कुराये 
फँसी है जान पिंजरे में , हाय कोई तो बचाये 

कोई तो हाथ-पैर छोड़ कर दुबक कर बैठ जाता है और कोई सारी रात टुक-टुक कर पिंजरे की तारों को या हाथ आई हुई लकड़ी की सतह या कपड़े को सारी रात कुतर-कुतर कर काटता रहता है ;जिस रोटी के टुकड़े के लिये वो इस पिंजरे में फँसा था , वो अब यूँ ही लटका मुँह चिढ़ाता हुआ नजर आता है।  जाहिर है अब चूहे की सारी कवायदें इस मुसीबत से स्वतन्त्र होने के लिये हैं।  ठीक ऐसा ही तो आदमी का हाल है।  कोई तो मुश्किलों से हार मान कर हथियार डाल देता है और कोई सारी ताकत उससे लड़ने में लगा देता है।  जितनी ज्यादा नकारात्मकता हो उतने ज्यादा सकारात्मक बनो , तभी नकारात्मकता अपना असर खो देगी।  ये सच है कि मन शरीर से भी ज्यादा शक्तिवान है और मन से भी ज्यादा शक्ति बुद्धि के पास है।  बुद्धि यानि विवेक , विवेक-पूर्ण मन क्या नहीं कर सकता , बाहरी उपद्रव हमारे मन का सन्तुलन भंग नहीं कर सकते , इतनी शक्ति हमारे अन्दर ही विद्यमान है।  

अगर जीवन में संघर्ष नहीं होगा तो यकीन मानिये विकास का कार्य भी रुक जायेगा। ......फ्रेडरिक डकलस 

यदि आप विफल हो रहे हों , तो समझिये कि सफलता के बीज बोने का सर्वश्रेष्ठ समय आ गया है...... परमहँस योगानंद 

दबाव और चुनौतियाँ आगे बढ़ने के अवसर की तरह होते हैं।  इन्हें रूकावट मानने की भूल न करें।... कोबे ब्रायंट 

बहुत सारे तरीके हैं मन को समझाने के , मेरे साथ कुछ भी नया नहीं हुआ है , Nothing is new under the sun.असफलताएँ ही आदमी को माँजती हैं।  बेशक तुम्हारी उमंगें टुकड़ा-टुकड़ा हो जायें , जीने के सारे मक्सद खो जायें , खुद को चुनौती दें कि मैं अन्दर से नहीं हिलूँगा। ये मुझ पर है कि अपने हाथों की लकीरों में मैं कौन सा रँग भरता हूँ। मुझे तो खुश होना चाहिये कि तनाव मेरी बर्दाश्त के अन्दर ही है। ये अनुभव बहुत कुछ सिखा के जायेगा। अपनी कामनाओं की नकेल अपने हाथ रखें।  ज़िन्दगी का उद्देश्य शान्ति प्राप्त करना है , पैसे या दुख में अटकना नहीं।  इसीलिये हमें अपने कर्तव्य प्रसन्नता-पूर्वक निभाने चाहिये , ये पृथ्वी स्वर्ग नजर आयेगी।