मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

कोहरा कफ़न नहीं होता

मौसम में छाया कोहरा और अस्पतालों में डिप्रेशन के मरीजों की बढ़ती सँख्या , चिन्ता का विषय है।  आज आदमी बाहर के मौसमों को अपने अन्दर उतार बैठा है।  बाहर खराब मौसम तो उदास , बाहर खिली धूप तो चेहरे पर भी मुस्कान , अहम् को पुष्ट करने वाला सामान तो आदमी खुश , नीचा दिखाने वाली ज़रा सी बात में भी झगड़ा करने , मरने-मारने पर उतारू।  दूसरों पर व्यँग कसने में आनन्दित , खुद व्यँग-बाणों का शिकार होने पर दुखी , मन चाहे का साथ मिले तो प्रसन्न , न मिले तो खिन्न। हमारी ज़िन्दगी के आधार कितने छोटे और ओछे हो गये हैं।  दुःख तो तब होता है जब हमारी नई पीढ़ी बच्चे युवा भी इसी राह पर चलने लगते हैं।

अन्धेरे में चलना किसे रास आता, कुछ ऐसी रोशनी मुहैय्या करा दो

अँगने में खड़ा सूरज , अँखियों पे पड़ा पर्दा हटा दो

अँधेरा नहीं है जीवन की डोरी ,उजली किरण ही है आशा की लोरी

ठण्डी हवाओं को आने की दावत , सावन की पेंगें बढ़ा दो

बेलगाम पानी क्यों बहे नालियों में ,मेढ़ों को बाँधो खेतों को सजा दो

जड़ों में पानी डालो,सूखी टहनिओं पे भी हरे पत्ते सजा लो

सावन-भादों के आने की देरी, फूलों के खिलने में फ़िर क्या है देरी

देखा है फूलों को टकटकी लगाये ,सूरज सँग सोते सूरज सँग जगते

क्या है ये नाता धरती और सूरज का ,जीवन और किरण का , मन को समझा दो

सुनहरी रँग किसे नहीं भाता ,खप जाता है हर रँग सँग ,सबसे मुखर होकरये ख़ुद को सिखा दो

आदमी जब खुद भटका हुआ है तो अपने बच्चों को सही दिशा कैसे दिखा पायेगा।  उद्देश्य सामने रख कर प्रयत्न करने में लग्न दिखती है , मगर जोश के साथ होश रखना बहुत जरुरी है।पहले अपनी प्राथमिकताएं तय कर लें , आपके लिए क्या क्या जरुरी है ,जिसे आप किसी कीमत पर खो नहीं सकते।  कुछ किस्मत माथे पर लिखी होती है , कुछ हम अपने हाथों से लिखा करते हैं।  परिश्रम व व्यवहार दोनों बहुत मायने रखते हैं।  जब आपका भाव शुभ है तो बाकी बातें छोड़ दीजिये , यही हमारी तृप्ति के लिए काफी होना चाहिए।

मनुष्य सब के बीच रह कर ही खुश रह सकता है , इसीलिये उत्सव मनुष्य का स्वभाव है।  मगर ये ध्यान रखना चाहिए कि सबको सहृदयता से मिलें वरना ख़ुशी काफूर होते देर न लगेगी।  हर दिन आप पार्टी तो नहीं मना सकते , इसलिए हर घड़ी ईश्वर ने आपके लिए क्या रचा , उसे ख़ुशी-ख़ुशी स्वीकार कीजिये।  सबसे बढ़िया तरीका है निष्काम सेवा भाव से जुड़ जाइये।  सबसे पहले घर , घर के लोग आपसे तृप्त होने चाहिये।  बाकी निष्काम सेवा के मौके खुद-ब-खुद आयेंगे।  आपका ये भाव ही आपको खुश रखेगा।  अन्दर अगर तापमान नियंत्रित होगा तो मौसम का कोहरा अन्दर क्यों उतरेगा ; ये अन्धेरा भी सार्थक होगा … यूँ समझिये के किसी नई सुबह से परिचय होने को है।  


कोहरा कफ़न नहीं होता 
सूरज दफ़न नहीं होता 

किसी की कही हुई ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं ,आगे की पंक्तियाँ मेरी कलम ने रच लीं ……


कोहरा कफ़न नहीं होता 
सूरज दफ़न नहीं होता 
क़ैद तो तेरी अपनी है 
बचना कभी अमन नहीं होता 

ढलना नमन नहीं होता 
हौसला तपन नहीं होता 
बढ़ , गले लग ज़िन्दगी के 
दूर कभी सजन नहीं होता