बुधवार, 27 मई 2009

अपने आस-पास जागरूक रहें




आपके आस-पास परिवार में , पड़ोस में या मिलने वालों में कोई अवसाद-ग्रस्त तो नहीं है ? कोई उदास है , बोलने से कतराता है , घबराता है , बेवजह रोता है , डरता है या अचानक आक्रामक हो उठता है ; तो समझ जाइये वो अवसाद-ग्रस्त है |वो ऐसा इसलिए हो गया है , क्योंकि वो विषम परिस्थिति से न तो लड़ पाया , न ही विषम परिस्थिति को स्वीकार कर पाया |आपका ये कर्तव्य है कि आप उसे इस से पार पाने में मदद करें |


आप भगवान से कहते हैं तन मन धन सब कुछ है तेरा , तेरा तुझको अर्पण | भगवान की इस कृति को थोड़ा सा अपना मन दे दो | आप नहीं जानते कि आपके द्वारा की गई उसकी थोड़ी सी तारीफ़ उसे कितना ऊपर उठा सकती है | आपके दो शब्द उसकी सहन-शक्ति के बारे में या उसकी उपलब्धियों के बारे में , उसे कितना ऊँचा उठा सकते हैं | हो सकता है वो आत्मविश्वास से भर जाये , हो सकता है आपके रूप में उसे एक सच्चा मित्र , सच्चा हितैषी मिल जाये | उसे जरुरत है आपके प्यार भरे सानिध्य की | आप उसे बताइए कि वो अपनी छिपी शक्तियाँ भूल गया है ; कर्म , प्रार्थना और विष्वास उसे फ़िर से साहस से भर देंगे | उसके चेहरे पर खिली मुस्कान आपका उपहार होगी |


ये तो हुआ मन से मदद करने का भावः , अपने मन से दूसरे के मन को उठाना , उसे आत्मिक बल प्रदान करना | ' तन से मदद करना ' में आपका शरीर से सेवा करने का भावः गया | किसी बीमार , बूढे या जरूरत-मंद को अगर आपकी मदद की जरुरत है तो जरुर करें | अगर आपके पास पर्याप्त मात्रा में धन है , और आप किसी जरुरत-मंद की मदद कर सकते हैं तो जरुर कीजिये | धन को भी आत्मा के आनंदका साधन बना लें , धन खर्च कर आप खुशी खरीद रहे हैं | मदद कर के आप सात्विक आनंद पा रहे हैं | सच्चा आनंद देने में है | हो सकता है आप किसी बड़ी या छोटी अनहोनी को घटित होने से रोकने का सबब बन रहे हों ? यही सामाजिक जागरूकता है | अवसर बार बार दरवाजा नहीं खटखटाते , इसलिए मदद करने का , अपने आपको आत्मिक प्रगति के रास्ते पर लाने का कोई भी अवसर अपने हाथ से निकल जाने दें |