शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

कुछ नमूने ये भी

शैलजा बरामदे में बैठी अपनी बेटी की फ्रॉक सिल रही थी , माँ जी-पिता जी आज किसी को मिलने चले गए थे और बेटी स्कूल गई थी । बाहर खुला अहाता था , कुछ पेड़-पौधे उगे हुए थे और सड़क की ओर आठ दस खुली सीढ़ियाँ चढ़ कर घर तक पहुंचा जा सकता था । एक आठ दस साल का लड़का ऊपर चढ़ आया और अपने झोले से एक पिताम्बरी का पैकेट निकाल कर , उस पाउडर को हाथ में लेकर शैलजा के हाथों में पहने हुए कंगनों की तरफ इशारा करके कहने लगा ....आंटी जी ये पैकेट खरीद लो इससे चूड़ी चमक जायेंगी । शैलजा के मना करने पर भी कई बार मिन्नत कर के कहने लगा कि मैं लगा के दिखाता हूँ , उसका कोई पैसा नहीं लगेगा । बस हाथों में पहने हुए कंगनों पर ही उसने वो पाउडर लगा दिया । अब कंगनों को उतारना जरुरी हो गया । उस बच्चे ने पाउडर को कंगनों के ऊपर रगड़ना शुरू किया , कंगन अजीब लाल लाल से हो गए । अब पांच -सात मिनट बाद ही २२, २४ साल के दो और युवक ऊपर चढ़ आए , ये दोनों भी इस लड़के के साथी थे । बस अब शैलजा को लगा वो इन के काबू में आ गई है , कैसे पीछा छुड़ाया जाए । पड़ोस वाले घर से आवाज लगा कर आंटी और उनकी बेटी को बुलाया । इन लोगों ने अब कंगन धोने के लिये पानी माँगा । जितना सोना उतार सके होंगे उतार लिया होगा । कंगन चमके भी नहीं , हाँ दो चार दिन बाद कंगन टेढ़े -मेढ़े हो गए । नुक्सान कर बैठने और ठगे जाने का दर्द बहुत समय तक शैलजा पर हावी रहा ।
लखनऊ में अक्सर सेल्स गर्ल्ज और सेल्स मैनज नकली सामान बाज़ार से कम कीमत पर घरों में बेच जाते थे । दो चार बार धोखा खाने के बाद नीमा ने सोचा , घंटी बजते ही इन लोगों को सीधा मना कर देना है । फिर एक दिन घंटी बजी , एक सेल्स मैन दो लाइटर और एक चाकू का पैकेट उठाए खडा था , कहने लगा ....११० रूपये में है कम्पनी की स्कीम में है , आपका नाम लिख लिया है , बारह लोगों को कम्पनी ने लिस्ट में रखा है , मैं खुद इसी महीने की तेरह तारीख को एक प्लास्टिक का फ़िल्टर आपके पास पहुंचा कर जाऊँगा । एक बार तो नीमा ने सोचा कि पड़ोसियों की घंटी बजा कर सलाह ले लूँ , फिर सोचा दोपहर का वक्त है , गर्मी में तंग न करूँ । एक लाइटर की कीमत कम से कम ६० रूपये तो होगी ही , घाटे का सौदा नहीं है , खरीद लिये । मगर ये क्या लुभावनी पैकिंग वाला लाइटर महीना डेढ़ महीना मुश्किल से चला । चाकू भी पतले टिन का निकला , और फ़िल्टर तो कभी पहुंचा ही नहीं । बाद में नीमा को पता चला कि लाइटर तो दस दस रूपये में भी बिकते हैं ।
रश्मि ने दरवाजा खोला , एक युवक गुरुद्वारे के लंगर के लिये दान राशि एकत्र करने के लिये कह रहा था । वाहेगुरु में अगाध श्रद्धा होने की वजह से और दरवाजे पर आए को खाली न मोडूँ ... सोचते हुए रश्मि ने कुछ रूपये दे दिए । अब इस युवक ने कहना शुरू किया ..वाहे गुरु आपके सब दुःख दूर कर देगा , आपका प्रोमोशन होने वाला है ...सुखमनी का पाठ करवाओ , लंगर कराओ , ११०० रूपये का खर्चा होगा । इस तरह के लोग सामने वाले को अच्छी तरह पढ़ लेते हैं , फिर कमजोर रग पर हाथ रख कर फायदा उठाना चाहते हैं । इस युवक को टरकाने में रश्मि को बड़ा दम लगाना पड़ा । गुरूद्वारे मंदिर आदि धर्म-स्थलों के लोग कभी मांगने नहीं जाते , उन के नाम से कुछ लोग अपना उल्लू साधते हैं ।
निम्मी , रीमा अपनी माँ के साथ घर में ही थीं । घंटी बजी , रीमा ने दरवाजा खोला । दो आदमी हाथ में काला बैग लिये और एक विजिटिंग कार्ड लिये ...दिखाते हुए बोले , हम गैस ऑफिस से आए हैं , चेक करने आए हैं गैस की लीकेज वगैरह । जब तक रीमा मुड़ कर मम्मी से पूछने पहुंची : उनमे से एक आदमी पीछे पीछे ड्राइंग रूम पार कर के किचन के पास आ खडा हुआ । अब लगा कि अगर आदमी जेनुइन है तो देख ले , दिखाने में क्या जा रहा है , मगर गैस की तो कोई समस्या है ही नहीं । इस आदमी ने सख्त लहजे में कहा ...आप लोग रेग्युलेटर बंद नहीं रखते हो । फिर रेग्युलेटर बंद किया , गैस का पाइप बर्नर की साइड घुमाते हुए कहने लगा कि लीक हो रही है ...पाइप ढीला है ..और फिर पाइप को चूल्हे से अलग कर दिया । फिर बोला चाकू लाओ , चाकू से काटने लगा । ये पाइप काटने वाला था ही नहीं क्योंकि उसमें अन्दर से स्टील की लेयर लगी होती है । ये बात वो भी जानता था , क्योंकि फिर उसने अपना ग्रीन पाइप निकाल कर दिखाया कि देखो ये तो कट जाता है । अब माँ को समझ आने लगा कि ये आदमी या तो अपना पाइप बेचने के इरादे से आया है या किसी और उद्देश्य से । बेटियों ने तो पहले ही उसकी नेक नीयती समझ ली थी और माँ को इशारे से समझा रहीं थीं कि उसे किसी भी तरह घर से बाहर करो । माँ किचन से बाहर आ गईं और कहने लगी ....अगर आप पाइप बेचते हैं तो उसकी कीमत बताइये , बाहर आइये और अपना विजिटिंग कार्ड दिखाइए । किसी तरह दरवाजे तक बुला कर , घर से बाहर किया । एक बड़ा आम सा फोटो वाला विजिटिंग कार्ड लैमिनेट करा कर ये दुनिया को ठगने निकले थे । ऐसे लोगों की वजह से ही आज जन गणना करने वालों या किसी भी तरह का सर्वे करने वालों को लोग सहयोग नहीं करते ।
बार बार धोखा खाने के बाद भी मन इतना भोला और आस्थावान होता है ये तो किसी तगड़े धोखे के बाद ही समझ आता है । रश्मि ए.टी.एम से दो हजार रूपये निकाल कर बाहर निकली ही थी कि सामने एक आदमी एक नाग टोकरी में रख कर खडा था ...तेरे सारे काम बन जायेंगे , बेटी , सोमवार का दिन है , नाग देवता आशीष देगा । रश्मि सोमवार का व्रत रखती थी , झट से जितनी चेंज पर्स में थी व् एक दस रूपये का नोट , उसको दे दिया । अब इस आदमी ने पर्स में दो करारे नोट हजार हजार के देख लिए थे । बोला कि अपने नोट नाग देवता को छुआ दो , तुम्हारे सारे दुःख दूर हो जायेंगे । जाने क्या हुआ कि जैसे ही नोट छुआए गए , नाग वाले ने नोट सर्र से नाग को निगलवा दिए ...अब ? रश्मि कहे कि मेरे नोट निकालो ; सांप वाला कहे ..वो तो इसने क़ुबूल लिए हैं , अब सब भला होगा । रश्मि को लगा ..वो तो ठगी गई है , जोर जबरदस्ती करती है तो ये नाग वाला नाग से कटवा भी सकता है ...नाग तो इसका शस्त्र है ...इतना वक्त नहीं है कि चिल्ला कर लोगों को इक्कट्ठा किया जा सके ...ऑफिस के लिए देर हो रही है । तनी हुईं दिमाग की नसें और कुछ न कर पा सकने की मजबूरी की मानसिक यंत्रणा लिए वो इतना ही बोल पाई ...बाबा इसका फल तुम्हें अच्छा नहीं मिलेगा । ऑफिस में जा कर साथियों से बात की तो पता चला कि किसी एक के साथ और ऐसा ही घटा था , मगर वो भीड़ वाली जगह था तो उसने शोर मचा कर लोग इकठ्ठा कर लिए थे तो सांप वाले ने मुड़े तुड़े नोट नाग से उगलवा कर वापिस दिए थे । अब इसे क्या कहेंगे , लोगों ने आस्था को भी भुनाना शुरू कर दिया है । सबकी नजर आपकी जेब पर है , किस तरह और कितनी चालाकी से खाली कराई जाए । सारे दुःख दूर करने की बात करते हैं , क्योंकि जानते हैं कि कोई अपने आपको सुखी समझता ही नहीं है ...मन जब तक हिलता रहेगा , दुःख का भान कराता रहेगा । दुःख तो कहीं होता ही नहीं , हमारा मन ही उसे पैदा किये रखता है ..लोगों ने इस से फायदा उठाने में भी रोजगार तलाश लिया है ...अपना तापमान नियंत्रित होगा तभी दूसरे के क्रिया-कलापों के पीछे छिपे उसके उद्देश्य को पढ़ सकेंगे ...मन का भोलापन एक न्यामत होता है , मगर हमारे अनुभव हमें सिखाते हैं ...कि जब कोई इसका नाजायज फायदा उठाने लगे तो अपना बचाव भी करें ...सुरक्षा हमेशा निदान से बेहतर होती है ...।

3 टिप्‍पणियां:

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