शुक्रवार, 11 जून 2010

जो दर्द क़ज़ा से बाईस हो



जुत्ती कसूरी पैरी न पूरी , हाय रब्बा वे सानूँ टुरना पया
जिन्हाँ राहाँ दी मैं सार न जाणी , ओन्हीं राहीँ वे सानूँ टुरना पया

यानि कुसूरवार बेमेल जूती जो मेरे माप की नहीं , उसके साथ ही हमें चलना पड़ा ; जिन राहों का सार भी मैं नहीं जानती , उन्हीं राहों पर हमें चलना पड़ा । कभी ये गीत सुना था , सब कुछ अपने मन का कब होता है ? आशा के विपरीत जो कुछ भी होता है , यूँ ही तो लगेगा ...जैसे कसे जूते पहना कर चला दिया गया हो और वश चले तो जूते खोल नँगे पैर ही दौड़ जाएँ । अब न जूते पहन चला जाता है न नँगे पैर तपती धरती पर चला जाता है । हाल ऐसा हो तो कोई किधर जाए ! हाल कैसा भी हो , बात तो अहसास की है ...चाहे रोये या गीत बना डाले। कोई छालों पे मरहम रखता है , कोई सफ़र को ...कोई जूतों को दोष देता है , कोई घबरा के छालों पे हवा करता है , और फिर हिम्मत करके अगले सफ़र पे चल पड़ता है ।
जो दर्द क़ज़ा से बाईस हो , वो दर्द उठाना पड़ता है
हर नक़्शे-क़दम पर दिलबर के , इस सिर को झुकाना पड़ता है

जो दर्द कज़ा यानि मौत से उन्नीस-बीस क्या इक्कीस भी नहीं , बाईस हो , वो दर्द भी झेलना पड़ता है , और दिलबर के रास्ते पर चलते हुए इस सिर को झुकाना पड़ता है , यानि सजदे में सिर झुकाइये , ख़ुशी ख़ुशी ! दर्द की तीव्रता का अनुमान लगा सकते हैं । ऐसा तो तभी हो सकता है जब अपने जीवन मूल्यों की तस्वीर साफ़ हो । हमें पता हो कि क्या हमारे लिए जरुरी है ! हम अपने साथ ईमानदार हों ।
अवसादित आनन्द ( सैडिसटिव प्लेज़र ) , खुद को दुःख में रख कर कोई सहानुभूति नहीं पानी है , न ही किसी दूसरे को दुःख देकर आनन्द पाना है । बेचारगी में कोई भी सहज नहीं रह पाता है । जीवन तो सहज , शुद्ध बहाव में ही आनन्द देता है । जैसे नदी को जो रास्ता मिला होता है उसी में निर्मल धारा की तरह बहना होता है । दूर मंजिल तक सफ़र में जो भी मिला सर-माथे पर । दुःख सुख तो लगे ही रहेंगे । ये मायने नहीं रखता कि हमने कितनी लम्बी जिन्दगी जी , ये मायने रखता है कि हमने कैसी जिन्दगी जी !

4 टिप्‍पणियां:

  1. Har lafz sahee hai! Lekin jab dard kee inteha hoti hai,to insaan apni door drishti kho baithta hai..kam se kam kuchh der.....bas utnisi der me duniya idhar ki udhar ho jati hai!

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  2. दूर मंजिल तक सफ़र में जो भी मिला सर-माथे पर । दुःख सुख तो लगे ही रहेंगे । ये मायने नहीं रखता कि हमने कितनी लम्बी जिन्दगी जी , ये मायने रखता है कि हमने कैसी जिन्दगी जी !
    bahut sateek kaha hai . apko to manovigyan ka bahut hi achha gyan hai.padhne me anand a gaya.

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