सिडनी , ऑस्ट्रेलिया से लौटा ३५ साल का युवक भारत पहुँचता है , स्क्रीनिंग में हल्का बुखार पाये जाने पर टेस्ट के लिए अस्पताल लाया जाता है। अभी तो टेस्ट की रिपोर्ट भी नहीं आती और वो घबरा कर अस्पताल की सातवीं मँजिल से नीचे छलाँग लगा देता है। कोरोना की दहशत ने उसे पहले ही मौत की तरफ धकेल दिया। आज हम ये सोचने पर मजबूर हैं कि अकेले पड़ने पर या किसी भयावह स्थिति का सामना करने पर हम कितने मजबूत रह पाते हैं। शरीर की इम्युनिटी के साथ-साथ हमें मन की मजबूती भी चाहिए।
कहते हैं शरीर की ताकत से बड़ी बुद्धि की ताकत होती है और बुद्धि की ताकत से भी बड़ी हमारे मन की ताकत यानि प्राण-शक्ति होती है।इस ऊर्जा को सही दिशा दीजिये। कोरोना वायरस एक हव्वा बन चुका है क्योंकि ये संक्रमण से फैलने वाली बीमारी का कारण है।इस से डरने की बजाय , सावधानियाँ बरतें। सैनिटाइज़्ड रहने का ख़्याल रखें , बाहर आना-जाना बिल्कुल बन्द कर दें। सरकार ने इस महामारी से निबटने के सारे इन्तजाम कर रखे हैं। दवाइयाँ , डॉक्टर ,सैनिटाइज्ड वार्ड्स ,एम्बुलैंस आदि सब तैयार हैं। जिस किसी में भी इसके लक्षण नजर आते हैं ,उसे अलग रखा जाता है तो इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है। आप अपनी जरुरत की सारी चीजें अपने साथ रख लें। फोन और सोशल मीडिया तो आपको सारी दुनिया से जोड़े रहता है। आप अलग-थलग हैं ही नहीं। इस वक्त का सही इस्तेमाल करें। नेट पर पसंदीदा पढ़िये।जैसे आप छुट्टी पर आये हों। अपने अन्तर्मन को शान्त रखिये। डॉक्टर की राय से चलिये। दवा अपना काम करेगी। सातवें दिन तक आपकी अपनी प्रतिरोधक क्षमता वायरस को खदेड़ देगी ,और आप स्वस्थ्य होते चले जायेंगे। बिना मौत आये क्यों मरें हम।
जरा भी बेचैन न हों। होने वाली बात होगी न होने वाली बात कभी नहीं होगी। इसलिए एक बीमारी के साथ दूसरी बीमारी को आमन्त्रित मत करिये। वैसे भी हो सकता है कि आपको इसका संक्रमण हुआ ही न हो , या बहुत हल्का संक्रमण हो ,आपकी अपनी इम्युनिटी ही उसे समाप्त कर दे। अकेले पड़ने पर उदास न हों। जीवन की भाग-दौड़ में आप अपने साथ तो कभी बैठे ही नहीं।जो सब कुछ आपको मिला है उस सबका धन्यवाद करिये।साथ चलते साथियों के लिए श्रद्धा भाव रखिये। शिकायत करते रहेंगे तो अशान्त रहेंगे।अपनी ही शक्ति से अन्जान रहेंगे। बैठ कर अपनी प्राथमिकताएं तय कीजिये।बीमारी से उबर आने के बाद आप क्या क्या करना चाहेंगे ,ये सोचिये।
अपने प्रियजनों से अलग रहना आपके और उनके दोनों के हित में है। फिर आप जितना सहज रहेंगे उतना ही प्राण-शक्ति से भरपूर रहेंगे। रोग को नौ दो ग्यारह होते देर न लगेगी। बिस्तर पर आराम करिये और सभी प्रियजनों के लिए मंगल कामना करिये। वो भी आपके लिए ऐसा ही कर रहे हैं।
विचार ही विचार की औषधि है। संवेदनशीलता को अपनी कमजोरी नहीं ताकत बना लें। जो जितना अधिक शुभ विचारों ,शुभ संकल्पों से जुड़ा होता है उतना ही प्राण-शक्ति से भरपूर होता है। उतना ही उसकी ऊर्जा का क्षय कम होता है। बस यही कुँजी है सकारात्मकता की व इम्युनिटी बढ़ाने की। कोरोना को हराना है। हम होंगे कामयाब एक दिन..... बक अप
कहते हैं शरीर की ताकत से बड़ी बुद्धि की ताकत होती है और बुद्धि की ताकत से भी बड़ी हमारे मन की ताकत यानि प्राण-शक्ति होती है।इस ऊर्जा को सही दिशा दीजिये। कोरोना वायरस एक हव्वा बन चुका है क्योंकि ये संक्रमण से फैलने वाली बीमारी का कारण है।इस से डरने की बजाय , सावधानियाँ बरतें। सैनिटाइज़्ड रहने का ख़्याल रखें , बाहर आना-जाना बिल्कुल बन्द कर दें। सरकार ने इस महामारी से निबटने के सारे इन्तजाम कर रखे हैं। दवाइयाँ , डॉक्टर ,सैनिटाइज्ड वार्ड्स ,एम्बुलैंस आदि सब तैयार हैं। जिस किसी में भी इसके लक्षण नजर आते हैं ,उसे अलग रखा जाता है तो इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है। आप अपनी जरुरत की सारी चीजें अपने साथ रख लें। फोन और सोशल मीडिया तो आपको सारी दुनिया से जोड़े रहता है। आप अलग-थलग हैं ही नहीं। इस वक्त का सही इस्तेमाल करें। नेट पर पसंदीदा पढ़िये।जैसे आप छुट्टी पर आये हों। अपने अन्तर्मन को शान्त रखिये। डॉक्टर की राय से चलिये। दवा अपना काम करेगी। सातवें दिन तक आपकी अपनी प्रतिरोधक क्षमता वायरस को खदेड़ देगी ,और आप स्वस्थ्य होते चले जायेंगे। बिना मौत आये क्यों मरें हम।
जरा भी बेचैन न हों। होने वाली बात होगी न होने वाली बात कभी नहीं होगी। इसलिए एक बीमारी के साथ दूसरी बीमारी को आमन्त्रित मत करिये। वैसे भी हो सकता है कि आपको इसका संक्रमण हुआ ही न हो , या बहुत हल्का संक्रमण हो ,आपकी अपनी इम्युनिटी ही उसे समाप्त कर दे। अकेले पड़ने पर उदास न हों। जीवन की भाग-दौड़ में आप अपने साथ तो कभी बैठे ही नहीं।जो सब कुछ आपको मिला है उस सबका धन्यवाद करिये।साथ चलते साथियों के लिए श्रद्धा भाव रखिये। शिकायत करते रहेंगे तो अशान्त रहेंगे।अपनी ही शक्ति से अन्जान रहेंगे। बैठ कर अपनी प्राथमिकताएं तय कीजिये।बीमारी से उबर आने के बाद आप क्या क्या करना चाहेंगे ,ये सोचिये।
अपने प्रियजनों से अलग रहना आपके और उनके दोनों के हित में है। फिर आप जितना सहज रहेंगे उतना ही प्राण-शक्ति से भरपूर रहेंगे। रोग को नौ दो ग्यारह होते देर न लगेगी। बिस्तर पर आराम करिये और सभी प्रियजनों के लिए मंगल कामना करिये। वो भी आपके लिए ऐसा ही कर रहे हैं।
विचार ही विचार की औषधि है। संवेदनशीलता को अपनी कमजोरी नहीं ताकत बना लें। जो जितना अधिक शुभ विचारों ,शुभ संकल्पों से जुड़ा होता है उतना ही प्राण-शक्ति से भरपूर होता है। उतना ही उसकी ऊर्जा का क्षय कम होता है। बस यही कुँजी है सकारात्मकता की व इम्युनिटी बढ़ाने की। कोरोना को हराना है। हम होंगे कामयाब एक दिन..... बक अप
BA LLB 1st Semester Political Science Notes
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