नन्हा दिया कह रहा है
खिल जाए हर मन की कली
निखरा हूँ मैं जिस तरह
हो दिया बाती का मेल
इस तरह हर गली
मुस्कराएँ साथ मिल कर
उत्सव हो हर घड़ी
पकडें जो हाथ मिल कर
हो सदा ही दीवाली
सँदेश इतना है
मन चुक न जाए
तम की हो जब जब साजिश
प्रेम का हो तेल
सहयोग हो साथी
लगन की हो अगन
दूर जहाँ तक जाती हो नजर
ज्ञान के हों दीप जगमगाते
धैर्य से झिलमिलाते
आलोकित हो जाता पथ
खिल जाए हर मन की कली