३१-दिसंबर-२०११
नीचे गहरे स्लेटी बादल जल्दी ही बर्फ के रँग में बदल गए , जैसे किसी ने मक्खन या क्रीम फेंट कर ऊँची-नीची सी चारों तरफ बिखरा दी हो । सामने हल्की पीली और नारंगी दो रँगों की लकीर सी सूर्योदय की तरफ अग्रसर होती हुई सुबह की सूचना दे रही थी । प्लेन की खिड़की से दिखता अदभुत दृश्य था । सुबह साढ़े पाँच से पौने छः के बीच का वक्त ....जल्दी ही बादलों के ऊपर धूप निखर आई थी । पीली नारंगी रँग की लकीर अब गायब हो गई थी । बस पन्द्रह मिनट बाद ही बादलों की मोटी परत को चीरता हुआ प्लेन अण्डमान निकोबार द्वीप समूह के ऊपर चक्कर काट रहा था । एक एक टापू हरा भरा चारों तरफ पानी से घिरा हुआ नजर आ रहा था । यहाँ तक कि तट के किनारों की तरफ उठती हुईं समुद्र की लहरों को भी साफ़ साफ़ देख पा रहे थे हम ।
पोर्ट ब्लेयर यहाँ का एकमात्र ऐसा टापू है जिस पर हवाई अड्डा है । वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा , ये नाम इसे इसलिए दिया गया कि वीर सावरकर महान देश भक्त और क्रांतिकारी यहीं सेल्युलर जेल में बंद रहे । जेल की अँधेरी कोठरी पल पल आगे बढ़ती काल की आहट किसी का भी मन विचलित करने के लिये काफी होती है । किस जज्बे से वो हर सख्ती का सामना कर सके और अपने साथियों के लिये जोश का एक उदाहरण बन सके । पोर्ट ब्लेयर की धरती ये कहाँ जानती थी कि इसी वीर सावरकर के नाम से हवाई अड्डा बनेगा और ये नाम हमेशा के लिये अमर हो जाएगा ।
जेल के प्रांगण में यहाँ आने वाले पर्यटकों की जानकारी के लिये रोज ६.३०बजे शाम एक लाईट एंड साउंड शो दिखाया जाता है । जिसमें बाईं तरफ उगे पेड़ की नजर से उस वक्त की आँखों देखी कहानी कही गई है , जो कि ओम पुरी की आवाज में है । प्रस्तुति मार्मिक है , हमारी राष्ट्रीय धरोहर सेल्युलर जेल के निर्माण , ब्रिटिश राज और कैदियों पर सख्ती व् बर्बरता की कहानी के बारे में है ।
अण्डमान का कोना कोना खूबसूरत , जिस एंगल से भी फोटो खीचो , अदभुत ही होती है । इतनी खूबसूरत जगह और नाम दिया गया था काला पानी । सच ही है अपने घर से दूर , अपनी धरती से दूर , जहाँ से कभी वापसी की उम्मीद ही न हो , जहाँ का नीला पानी कैदियों के लाल खून से काला नजर आता हो , उस जगह को और क्या नाम दिया जा सकता था ।
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले
वतन पर मिटने वालों का , यही बस आखिरी निशाँ होगा
दूर दूर से आने वाले पर्यटक जब यहाँ इकट्ठा होते हैं तो किसी मेले से कम नहीं लगता । मन जैसे द्रवित हो कर देश भक्ति से ओत प्रोत हो जाता है ।
Bahut hee badhiya aalekh!
जवाब देंहटाएंयाद दिलाने के लिए शुक्रिया , सार्थक पोस्ट , आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
..
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.com/2012/01/763.html
बहुत ही सार्थक जानकारी।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया चित्र खींचा है आपने अपनी इस यात्रा का मेरा तो पढ़कर ही मन देश भक्ति की भवाना से भर गया और हाथ अपने आप ही सहसा उठ गए सल्युट करने के लिए उन माहन स्वतंत्रता सेनानाइयों के लिए जिन्होने देश के लिए क्या-क्या नहीं सहा...आभार समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका सवागत है http://mhare-anubhav.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंKash hamare naam ka bhi koi sthal banaya jaye ( Wo samadhi sthal jarur ho sakta hai). Aisa bahut hi muskil hai, ha ha ha
जवाब देंहटाएंSandeep singh ( @sanialld twitter)
sadhuwad
जवाब देंहटाएं...deshbhakton ki shahaadat aur KaalaPaani ka wrattant, jaisa aapne likha hai, use parh kar hraday dravit ho uthaa hai..! Bahut sundar, Shardaa!
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