मुक्तेश्वर की पहाड़ियों से सूर्योदय का व दूर हिमालय की पर्वत श्रृंखला का अनुपम दृश्य , २२ नव २००९ ..
चाह कर भी मन के दृश्यों के अलावा प्रकृति पर नहीं लिख पाती , बस कोशिश भर की है ...
दूधिया बर्फ की चादर ओढ़े
चाँदी जैसा रँग हुआ है
पहली किरण सूरज की छूकर
हिमशिखरों का मान बढ़ा है
चाँदी जैसा रँग हुआ है
पहली किरण सूरज की छूकर
हिमशिखरों का मान बढ़ा है
अलसाई सुबह भी झटपट
आँखें खोले विस्मय में है
हुई प्रकृति है मेहरबान
उपहारों का द्वार खुला है
हुई प्रकृति है मेहरबान
उपहारों का द्वार खुला है
कहीं हरीतिमा , कहीं लालिमा
सपनों का सा रँग हुआ है
रँग सुनहरी किरणों का और
चन्द्रकिरण सा सिरमौर हुआ है
रँग सुनहरी किरणों का और
चन्द्रकिरण सा सिरमौर हुआ है
ांअज तो प्रकृ्ति के चमत्कारों से कई ब्लाग महक रहे हैं बहुत सुन्दर तस्वीरें और रचना तो लाजवाब है ही शुभकामनायें
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