इमोशनली ईडियट या इमोशनल फूल ये शब्द हिन्दी में हमारी बोलचाल की भाषा में रच बस गए हैं | इन्हें अगर हिन्दी अर्थ में बोलेंगे तो ख़ुद ही फूल नजर आयेंगे | अति भावुकता के वश होकर काम करने वाले को लोग इसी नाम से बुलाते हैं |
मकैनिकल होकर ऊपरी तौर से देखें तो सब छोटे और संवेदन-शील दिखाई देते हैं | संवेदनशीलता परिस्थितियों , समय व महत्वाकांक्षाओं के कारण भिन्न-भिन्न होती है | हर आदमी के अपने कारण हैं , संवेदनशीलता का कोई माप-दण्ड नहीं है | ऐसा नहीं है कि उच्च वर्ग के पास संवेदन-शीलता नहीं है , उनकी अलग अलग परिस्थितियों में अलग-अलग संवेदनशील प्रतिक्रियाएं हैं | जब दिल है तो लहरें भी होंगीं , लहरें हैं तो गतिमान भी होंगीं | उन्हें नियंत्रित करना होगा , मशीन बन कर तो कोई नहीं आया | बस लहरें समन्दर बन कर सब कुछ बहा न ले जाएँ , ये ध्यान रखना होगा |
सीने में है जो मुट्ठी भर गोश्त का टुकड़ा
उसको बस तेज धड़कने के सिवा आता क्या है
आँधी-तूफानों से लय मिला कर
बहकने के सिवा आता क्या है
ये भी सच है कि बिना भाव के जीवन रस हीन है | कवि लेखक तो खासकर अपनी संवेदनाओं को सृजन की दिशा दे लेते हैं | अब इसे समाज कुछ भी कहे , ये संवेदनाएं हैं तो उनके नियंत्रण में ही | वे किसी को नुक्सान भी नहीं पहुँचा रहे | समाज का यही वर्ग ख़ुद को फुलफिलमेंट (भरपूरता) का अहसास देते हुए , हम सब के जीवन में रस (मिठास) का योगदान देता है | संगीत न होता तो जिन्दगी मशीनी हो जाती | इसलिए जब जितना जरुरी हो , मन के समन्दर से भावः का मोती उठा लाईये , गोते लगाइए और व्यवहार में तराश लीजिये | आपकी अपनी नकेल अपने हाथ में ही रहनी चाहिए |
बिना भावो के क्या कोई ह्रदय खूबसूरत रहा है शारदा जी.....
जवाब देंहटाएंbahut khoob.....
जवाब देंहटाएंसच्चा है पर सगा नहीं है
जवाब देंहटाएंअपनी हस्ती आप ही भूले ,,
यह लाइने आज के समय में जीवन के बहुत करीब हैं ,अगर सगे रिश्ते नहीं मिलते तो हमें दुखी न होकर सच्चे रिश्तों को ही पकड़ कर जीवन में सार्थकता लानी चाहिए |
एक अच्छी रचना के लिए बधाई